Embark on a divine journey as we unveil the sacred tales encapsulated within Shrimad Bhagavat, the mahāpurāna, Rooted in the eternal narratives of the 24 incarnations of Lord Vishnu, with a profound focus on the divine stories of Lord Krishna, Shrimad Bhagavat is a beacon guiding humanity towards love for God and liberation from grief, attachment, and fear. कथा कनेक्ट पर श्रीमद्भागवत महापुराण पवित्रता से जीवन में आध्यात्मिकता को भर देती है। कृष्ण जी ने धाम को प्रस्थान करते समय स्वयं कहा था की भक्तों के लिए मेरी उपस्थिति श्रीमद् भागवत में रहेगी। जब भी पूरे भाव के साथ श्रीमद् भागवत कथा का पाठ हो रहा होता है तो कृष्ण की लीलाएं भाव विभोर कर जाती हैं तथा कई बार ऐसा लगता है की कथा श्रवण करने वालों से स्वयं भगवान कृष्ण बातें कर रहे हो उनकी शाब्दिक उपस्थित कानों के जरिए हृदय के स्पंदन में अपनी उपस्थिति दर्शाती है। कथा कनेक्ट श्रीमद्भागवत महापुराण मानवता के अंदर श्रद्धा एवं प्रेम उत्पन्न करती है, यह भगवत दर्शन दुःख, लगाव और भय से मुक्ति की दिशा में मार्गदर्शन करने वाला एक प्रकाश स्तंभ है।
Shrimad Bhagavat, the monarch amongst religious scriptures, unfolds its magnificence through 12 cantos, 335 chapters, and 18,000 ślokas (verses). Narrated by the Supreme Lord to Lord Brahma, this divine scripture traversed through the realms of wisdom, passing from Lord Brahma to Sage Narad, and then to the great Sage Shri Ved Vyas ji. The intricate narratives contained in the original 4 shlokas, known as Chatu Śloki Bhāgavat, were elaborated into the comprehensive form we know today by Sage Ved Vyas ji. The sacred knowledge was then passed down through generations, reaching its culmination in the hands of Shri Shukdev ji, who relayed it to King Parikshit. Written by Shri Ved Vyas ji, Shrimad Bhagavat serves as the essence of Vedas and Upanishads. Recognizing the challenges faced by common people in comprehending these profound scriptures, Shri Ved Vyas ji chose a conversational format. Narrated as a dialogue between Shri Shukdev ji and King Parikshit, Shrimad Bhagavat weaves its teachings in a Katha that is both simple and profoundly symbolic. यह पावन ग्रंथ, 12 खंडों, 335 अध्यायों, और 18,000 श्लोकों के माध्यम से भगवान की महिमा को प्रकट करता है। इस दिव्य ग्रंथ का ज्ञान एवं दर्शन प्रवाह आगे बढ़ता हुआ, भगवान ब्रह्मा से ऋषि नारद और फिर महान ऋषि श्री वेद व्यास जी तक पहुंचा। चतुश्लोकी भागवत के नाम से जाने जाने वाले इनमे मूल 4 श्लोकों को एवं जटिल कथाओं को ऋषि वेद व्यास जी द्वारा सरल किया गया। जिसे हम अध्ययन वचन और श्रवण करते हैं। यह पवित्र ज्ञान पीढ़ी-दर-पीढ़ी आगे संत कुमार ऑन तथा आचार्य द्वारा आगे बढ़ता गया और इसकी पराकाष्ठा श्री शुकदेव जी के हाथों में पहुँची, जिन्होंने इसे राजा परीक्षित तक पहुँचाया। श्री वेद व्यास जी द्वारा उल्लेखित तथा भगवान गणेश जी द्वारा लिखित श्रीमद्भागवत महापुराण वेदों एवं उपनिषदों का सार है। इन गूढ़ ग्रंथों को समझने में आम लोगों के सामने आने वाली चुनौतियों को पहचानते हुए, श्री वेद व्यास जी ने संवाद कथा स्वरूप को चुना। श्री शुकदेव जी और राजा परीक्षित के बीच संवाद के रूप में वर्णित कथा का यह स्वरूप आज कथा प्रेमियों में प्रचलित है। श्रीमद्भागवत ग्रंथ अपने पावन ज्ञान दिव्यता द्वारा सरलता से सबको माला के मनको की तरह पिरो लेता है।
Shrimad Bhagavat extends beyond its divine origins to become a comprehensive guide for human conduct in all facets of life. Covering aspects ranging from social and political to economic, educational, familial, and marital, this sacred scripture provides timeless solutions to everyday issues. It is not merely a repository of religious knowledge but a guide that addresses the multifaceted challenges of contemporary life. The importance of Shrimad Bhagavat transcends its spiritual realm; it becomes a beacon of light offering remedies for the maladies of the material world. Acting as a potent medicine, it cures ailments such as greed, attachment, anger, and pride. It fortifies the soul’s immunity, preventing the acquisition of faults and providing a shield against the challenges of mundane existence. श्रीमद्भागवद जीवन के सभी पहलुओं में मानवता के लिए एक मार्गदर्शक ग्रंथ है। यह पवित्र ग्रंथ सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक, शैक्षणिक, पारिवारिक और गृहस्थ जैसे जीवन के महत्वपूर्ण पहलुओं का समाधान भी करता है। यह केवल धार्मिक ज्ञान का भंडार नहीं है बल्कि एक मार्गदर्शक है, श्रीमद् भागवत जीवन की सभी चुनौतियों का समाधान करने वाला पावन ग्रंथ है। श्रीमद्भागवद की शरण में जो भी मनुष्य आता है, उसके लिए यह पावन ग्रंथ भौतिक सुख प्रदान करता है व सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करता है। इस पठन एवं श्रवण रूप में सेवन करने से यह एक शक्तिशाली संजीवनी औषधि के रूप में मानव मात्र की लोभ, मोह, क्रोध और अहंकार जैसी बीमारियों से मुक्ति प्रदान करने वाला पावन ग्रंथ है। अपनी शरण में आने वाले जीव को यह आत्मा बल प्रदान करता हुआ उसके जीवन के दोशों को समाप्त करता है तथा सांसारिक कष्टों से मुक्ति के लिए सुरक्षा प्रदान करता है।
As Lord Krishna was preparing to return to His divine abode, his dear friend Shri Udhavji sought guidance for his devotees in Krishna’s physical absence. In response, Shri Krishna proclaimed, “Udhav, I will reside in the Shrimad Bhagavat. This will be my literal form, guiding and providing refuge to all.” जब भगवान कृष्ण अपने दिव्य धाम को लौटने के लिए तैयारी कर रहे थे, तब उनके प्रिय मित्र श्री उद्धवजी ने संसार में उनसे उनकी भौतिक अनुपस्थिति में भक्तों के लिए मार्गदर्शन की प्रार्थना की। उद्धव जी की इस भावना का हाल देते हुए, भगवान ने कहा, “उद्धव, मैं अब श्रीमद्भागवत में निवास करूंगा। यह मेरा शाब्दिक स्वरूप होगा, जो भी इसकी शरण में आएगा उसे यह पावन ग्रंथ मार्गदर्शन एवं आश्रय प्रदान करेगा।”
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