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Shri Viren Bhai Mehta ji श्री विरेन भाई महेता जी

Specialization : Hindi Gujarati and Shri Mad Bhagwat, Shri Ram Katha, Shri Shiv Katha, Shri Bhaktamal Katha, Shri Mad Devi Bhagwat Katha विशेषज्ञता : हिंदी गुजराती एवम श्री मद भागवत, श्री रामकथा, श्री शिव कथा, श्री भक्तमाल कथा, श्री मद देवीभागवत कथा

Shri Viren Bhai Mehta ji

Shri Viren Bhai Mehta ji श्री विरेन भाई महेता जी

Location : Una, District : Gir Somnath , Gujarat पता : ऊना, डिस्ट्रिक्ट : गिर सोमनाथ , गुजरात

Specialization : Hindi Gujarati and Shri Mad Bhagwat, Shri Ram Katha, Shri Shiv Katha, Shri Bhaktamal Katha, Shri Mad Devi Bhagwat Katha विशेषज्ञता : हिंदी गुजराती एवम श्री मद भागवत, श्री रामकथा, श्री शिव कथा, श्री भक्तमाल कथा, श्री मद देवीभागवत कथा

Mobile Number : +91 7011125775

Departure From : Customizable यहां से प्रस्थान :अनुकूलन

The life of Shri Viren Bhai Mehta is inspiring. He took keen interest in the field of religion and spirituality from a very young age and learnt the art of Katha Vachan from his uncle, Shri Gunvantji. As a result of his talent and dedication, he started his journey as a Katha Pravak in Surat from 15th February 2015.

The specialty of Shri Viren Bhai Mehta is that he started singing Sundar Kand at the age of only 8 years and he knows most of the verses of Bhagwat Ji by heart. The organization “Shri Maruti Seva Pariwar” established by him also reflects his spirit of service and his commitment towards social welfare.

The number of Kathas he has done so far is 23, which is a proof of his experience and knowledge. The process of education and initiation of Shri Viren Bhai Mehta plays an important role in his life, making him a successful and respected Katha Pravak.

श्री विरेन भाई महेता का जीवन प्रेरणादायक है। उन्होंने बहुत छोटी उम्र से ही धर्म और अध्यात्म के क्षेत्र में गहन रुचि ली और अपने चाचाजी, श्री गुणवंतजी से कथा वाचन की शिक्षा प्राप्त की। उनकी प्रतिभा और समर्पण के परिणामस्वरूप, वे १५ फरवरी २०१५ से सूरत में कथा प्रवक्ता के रूप में अपनी यात्रा शुरू की।
श्री विरेन भाई महेता की विशेषता यह है कि उन्होंने केवल ८ साल की उम्र में सुंदर काण्ड का गायन किया और भागवत जी के अधिकांश श्लोक उन्हें कंठस्थ हैं। उनके द्वारा स्थापित “श्री मारुति सेवा परिवार” संगठन भी उनकी सेवा भावना और समाज कल्याण के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
उनकी अब तक की कथा संख्या २३ है, जो उनके अनुभव और ज्ञान का प्रमाण है। श्री विरेन भाई महेता की शिक्षा और दीक्षा की प्रक्रिया उनके जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, जिससे वे एक सफल और सम्मानित कथा प्रवक्ता बने।

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