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Swami Shri Gaurishankar Ji Maharaj स्वामी श्री गौरीशंकर जी महाराज

Specialization : Shrimad Bhagwat Katha विशेषज्ञता : श्रीमद् भागवत कथा

Swami Shri Gaurishankar Ji Maharaj

Swami Shri Gaurishankar Ji Maharaj स्वामी श्री गौरीशंकर जी महाराज

Location : Jaipur , Rajasthan पता : जयपुर , राजस्थान

Specialization : Shrimad Bhagwat Katha विशेषज्ञता : श्रीमद् भागवत कथा

Mobile Number : +91 7011125775

Departure From :Customizable यहां से प्रस्थान : अनुकूलन

Vaishnavacharya Swami Gaurishankar Ji Maharaj
Place of Birth / Date of Birth: Jaipur, Rajasthan / 8 July
Teacher:
Education Guru: Dr. Shyam Sundar Ji Parasar
Initiation Guru: Sri Sri 1008 Golok Vasi Tridandi Devnarayanacharya Ji Maharaj (Gyan Guddi, Vrindavan)
Gurukul: National Sanskrit Institute
Established Organization: Bhagwat Bhakt Vatsal Seva Sansthan
Story Number:
Start becoming a storyteller: Inspired by Shyam Sundar Ji Maharaj, during his stay in Vrindavan since
Special Features:
I remember the whole Gita
Interested in astrology since childhood, inspired by his grandfather who was a great scholar of astrology
He obtained the degree of Shastri and Acharya in Astrology, but adopted the field of Bhagavad Gita after getting the presence of Parasar Ji
Story Features:
Storytelling in the style of Parasar Ji, storytelling by verse, not going out of the original story

वैष्णवाचार्य स्वामी गौरीशंकर जी महाराज
जन्म भूमि / जन्म तिथि: जयपुर, राजस्थान / 8 जुलाई 1982
गुरु:
शिक्षा गुरु: डॉ. श्याम सुन्दर जी पारासर
दीक्षा गुरु: श्री श्री 1008 गोलोक वासी त्रिदण्डी देवनारायणाचार्य जी महाराज (ज्ञान गुदडी, वृंदावन)
गुरुकुल: राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान
स्थापित संगठन: भागवत भक्त वत्सल सेवा संस्थान
कथा संख्या: 118
कथा प्रवक्ता बनने की शुरुआत: डॉ. श्याम सुन्दर जी महाराज से प्रेरित होकर, 2005 से वृंदावन वास के दौरान
विशेष बातें:
पूरी गीता याद है
बचपन से ज्योतिष में रुचि, दादाजी जो ज्योतिष के प्रकाण्ड विद्वान थे उनसे प्रेरणा प्राप्त की
ज्योतिष में शास्त्री और आचार्य की डिग्री हासिल की, परंतु पारासर जी का सनिध्य पाकर भागवत के क्षेत्र को अपनाया
कथा विशेषता:
पारासर जी की शैली में कथा वाचन, श्लोक के द्वारा कथा वाचन, मूल कथा से बाहर नहीं जाना

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